महात्मा गांधी की 150वीं जयंतीः जन की जागरूकता ही गांधी जी का सच्चा स्मरण है
Edit by:-technicalb blog,Date:-2/10/2020
सात्विक पवित्र और आत्मिक शुद्धता के प्रतीक हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को जानना हमारे लिए बहुत ही सरल होते हुए भी उनके आचरण को अपने जीवन में उतारना उतना ही कठिन है। गांधी जी के सत्याग्रह और आन्दोलन उनके जीवन में किए गए प्रयोग थे। जन-जन का भरोसा दिखावे से नहीं जीता जा सकता क्योंकि उसके लिए जीवन में सत्य, अहिंसा और सदाचार के आचरण की जरूरत होती है।
जिधर चल पडे़ दो पग, उधर चल पडे़ हजारों डग
बापू की सादगी के साथ खड़ृे जन थे, जिनका विश्वास गांधी जी के विचारों में शामिल था। अहिंसक महात्मा के विचार ही सबके लिए प्रेरणा थे। ब्रिटिश हुकूमत उनकी सात्विक विचारों की ताकत को कुचल पाने में असफल रही। उनकी आजादी वर्ग, जाति, सम्प्रदाय धर्म से बहुत-बहुत ऊपर थी।
व्यक्तिगत लाभ लोभ उनकी राष्ट्रीयता के बोध को कभी अपने जाल में नही फंसा सके। इसी कारण गांधी जी सर्वमान्य राष्ट्रपिता बने रहेंगे। पद और राजनीतिक लोकप्रिय छवि की तुच्छता उन्हें कभी मोहित नहीं कर सके।
https://youtu.be/o1tqeNAKw6I
समाज निर्माण के प्रयास में भी लगे थे गांधी जी
गांधी के बारे में किसी गांधीवादी ने इतना शानदार भाषण कभी नहीं दिया, जितना मोदी जी ने चंपारण सत्याग्रह की सौवीं वर्षगांठ के मौक़े पर दिया.
कोई गांधीवादी दे भी नहीं सकता. गांधी ख़ुद ही वक्ता नहीं थे, गांधी को सुनिए यूट्यूब पर. मोदी जी को भी उस एंगल से सुनिए, सुनिए तो सही.
संघ की शब्दावली में जिसे 'ओजस्वी वक्ता' कहा जाता है गांधी उसके बिल्कुल उलट थे. उनके शिष्य https://youtu.be/o1tqeNAKw6Iभी ऐसे ही रहे. जेपी-विनोबा-राजमोहन सभी सादगी और नरमी से बोलने वाले.
गांधी और गांधीवादी अंतरात्मा की फुसफुसाहट सुनते थे और उसी स्वर में बोलते थे.
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